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दरभंगा5 मिनट पहले
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17 वर्षों से नगर परिषद के दर्जे का है इंतजार
नगर निकाय चुनाव होने की चर्चा शुरू होते ही बिरौल नगर परिषद का मामला एक बार फिर से गरमाने लगा है। सरकार की नीति को लेकर क्षेत्र के लोग आक्रोशित हो रहे हैं। लोग पंचायत से उठकर शहर जैसी सुविधा मे गुजर बसर करना चाहते हैं।
2007 से की जा रही है मांग
नगर परिषद की मांग बिरौल वासियों का दशकों पुराना है। वर्ष 2007 से ही यहां के स्थानीय लोगों के द्वारा नगर परिषद के गठन की मांग की जा रही है। लेकिन 21 अगस्त 2017 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कैविनेट से दरभंगा जिलान्तर्गत बिरौल को नगर परिषद घोषित करने की स्वीकृति प्रदान की गई। राज्यपाल के आदेश पर नगर विकास व आवास विभाग ने अधिसूचना जारी करते हुए संबंधित विभाग के अधिकारियों को पत्र भेजकर अग्रेतर कार्यवाही करने का निर्देश दिया बावजूद जिला से लेकर एसडीओ एवं बीडीओ ( सभी तत्कालीन) के द्वारा अनदेखी कर इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
बता दें कि जनता की ओर से बिरौल को नगर परिषद बनाने की लगातार किये जा रहे मांग पर एसडीओ जगदीश कुमार ने पहली बार सरकार को पत्र लिखा था। उसके बाद सरकार के नगर विकास व आवास विभाग से प्राप्त पत्र के आलोक मे तत्कालीन डीएम चंन्द्रशेखर सिंह ने एसडीओ से दो बिन्दुओं पर प्रतिवेदन देने को कहा था।इसके आलोक में एसडीओ मो.शफीक ने स्वीकारात्मक उत्तर प्रतिवेदन डीएम को भेजते हुए अपने स्तर से बिरौल को नगर परिषद का दर्जा दिए जाने का रास्ता साफ कर दिया। नगर विकास एवं आवास विभाग के द्वारा जारी किए गए अधिसूचना संख्या05/न.वि.(गठन)-05/2017 मे सुपौल पंचायत के (वार्ड 3 – 15), फरहट (4 – 5 वार्ड), फकीरना(4 से 5 वार्ड), डुमरी (2 से 6 और 8 वार्ड), अफजला(1 से 9 वार्ड), उछटी (1,2,3,6,7,8 वार्ड), हाटी ( वार्ड 11 से 14), पोखराम अंश अजरकबे गोविंदपुर(वार्ड 1), दक्षिणी कसरौर पंचायत के करकौली अंश को शामिल किया गया। विभाग ने जिलाधिकारी,एसडीओ तथा बीडीओ को ज्ञापांक-1103 दिनांक 24-8-2017 के माध्यम से भेजे पत्र मे बिरौल नगर परिषद से संबंधित अग्रेत्तर कार्यवाही करने का निर्देश दिया।
लोगों में सरकार के प्रति आक्रोश
स्थानीय प्रशासन के द्वारा दिसंबर 2020 को आनन-फानन में भेजे प्रतिवेदन के आलोक में बिहार सरकार के कैबिनेट के द्वारा नगर परिषद के अंतर्गत आने वाले अफजला पंचायत को नगर पंचायत घोषित कर दिया गया।जिसके बाद वर्ष 2021 में पटना उच्च न्यायालय में पुनः बिरौल को नगर परिषद बहाल की जाने को लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई। जिसका मुकदमा संख्या CWJC16659/2021 है। लेकिन न्यायालय में इस संबंध में लगातार सुनवाई नहीं होने के कारण क्षेत्रवासियों में गहरी निराशा के साथ सरकार के प्रति आक्रोश देखा जा रहा है।
वही इस मामले में राजकुमार अग्रवाल,डॉ.शशि भूषण महतो,विनोद चौधरी,उपेंद्र गाड़ा,मो.फिरोज,नरेश सहनी,मनोज कुमार सहित दर्जनों लोगों का कहना है कि नगर परिषद का दर्जा मिलने के बाद भी स्थानीय प्रशासन इसे अनदेखी कर दिया।जब तक बिरौल को नगर परिषद नहीं बनाया जाता तब तक यहां के समस्याओं का समाधान नहीं होगा। बिरौल अनुमंडल पदाधिकारी संजीव कुमार कापर ने कहा कि नगर परिषद का मामला न्यायालय में लंबित है इसलिए न्यायालय के आदेश के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
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