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अहमदाबाद: कथावाचक आसाराम के रेप मामले को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। आसाराम ने रेप मामले में सजा के खिलाफ गुजरात हाई कोर्ट का रुख किया है। हाई कोर्ट ने गुरुवार को स्वयंभू संत आसाराम की वह याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली, जिसमें रेप के मामले में निचली अदालत के हालिया आदेश को चुनौती दी गई है। साल 2013 में एक पूर्व महिला अनुयायी द्वारा दायर शिकायत के आधार पर गांधीनगर सत्र अदालत ने इस साल जनवरी में आसाराम को रेप के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
न्यायमूर्ति एस.एच. वोरा और न्यायमूर्ति मौना भट्ट की खंडपीठ ने गुरुवार को अपील पर संक्षिप्त सुनवाई की और इसे अंतिम सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया। सत्र अदालत ने आसाराम को बलात्कार और गलत तरीके से बंधक बनाने का दोषी ठहराया था।
क्या है पूरा मामला
ये साल 2013 का मामला है, जिसमें आसाराम पर सूरत की लड़की ने रेप का आरोप लगाया था, जबकि उसकी छोटी बहन ने नारायण साईं पर रेप का आरोप लगाया था। इस मामले में आसाराम के अलावा उसकी पत्नी लक्ष्मी, बेटी भारती और चार महिला अनुयायी ध्रुवबेन, निर्मला, जस्सी और मीरा आरोपी हैं।
कौन सी धाराओं के तहत मिली सजा
अदालत ने 2013 में महिला शिष्या द्वारा दर्ज मामले में आसाराम को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 2 (C) (बलात्कार), 377 (अप्राकृतिक अपराध), 342 (गलत तरीके से हिरासत में रखना), 354 (महिला की लज्जा भंग करने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल प्रयोग), 357 (हमला) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत दोषी ठहराया था।
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