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सैन्य जासूसी उपग्रह प्रक्षेपित कर अपने पड़ोसी दक्षिण कोरिया और जापान में को तनाव में झोंकने की उत्तर कोरिया की कोशिश फिलहाल नाकाम हो गई है। उत्तर कोरिया ने स्वयं इस बात की पुष्टि की है कि उनका जासूसी उपग्रह प्रक्षेपित करने का पहला प्रयास विफल रहा है। देश की सरकारी मीडिया ने एक बयान में कहा कि उत्तर कोरिया के जासूसी उपग्रह ले जा रहे रॉकेट की गति पहले और दूसरे चरण के अलग होने के बाद कमजोर पड़ गई और यह कोरियाई प्रायद्वीप के पश्चिमी तट के समुद्री क्षेत्र में गिर गया। इससे राष्ट्र अध्यक्ष किम जोंग उन भी हैरान है। उत्तर कोरिया अब यह जानने का प्रयास कर रहा है कि उसके जासूसी उपग्रह को किसी दुश्मन ने मार गिराया है या फिर वह किसी तकनीकी खामी के चलते विफल हो गया।
वैज्ञानिक उत्तर कोरिया के इस अभियान के विफल होने के कारणों का पता लगा रहे हैं। इससे पहले दक्षिण कोरिया की सेना ने कहा था कि उत्तर कोरियाई रॉकेट ने ‘‘असामान्य तरीके से उड़ान’’ भरी और इसके बाद यह समुद्र में गिर गया। ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ ने एक बयान में कहा कि रॉकेट को उत्तर कोरिया के उत्तर-पश्चिमी टोंगचांग-री क्षेत्र से सुबह करीब साढ़े छह बजे प्रक्षेपित किया गया। यहीं देश का मुख्य अंतरिक्ष प्रक्षेपण केंद्र स्थित है। इससे पहले जापान के तटरक्षक बल ने सोमवार को कहा था कि उत्तर कोरिया के जलमार्ग अधिकारियों से मिले नोटिस के अनुसार प्रक्षेपण 31 मई से 11 जून के बीच किया जा सकता है।
जापान ने अपने रक्षा क्षेत्र में प्रवेश करते ही दिया था उपग्रह को मार गिराने का आदेश
जापान के रक्षा मंत्री ने अपनी सेना को आदेश दिया था कि यदि कोई उपग्रह जापानी क्षेत्र में प्रवेश करता है तो उसे मार गिराया जाए। जापान का तटरक्षक बल पूर्वी एशिया में समुद्री सुरक्षा सूचना का समन्वय करता है और उसे आगे भेजता है, इसी कारण उत्तर कोरिया ने यह नोटिस उसे भेजा है। उपग्रह को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करने के लिए उत्तर कोरिया का लंबी दूरी की मिसाइल प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करना संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों द्वारा लगाए प्रतिबंधों का उल्लंघन है। उत्तर कोरिया को आशंका है कि कहीं दक्षिण कोरिया या जापान ने उसके जासूसी उपग्रह को मार तो नहीं गिराया या फिर कहीं अमेरिका ने इसे विफल करने की कोई गुप्त साजिश तो नहीं की।
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