मुंगेर के गंगा घाट पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़:गुरु पूर्णिमा के मौके पर महिलाओं ने की पूजा अर्चना, कल से शुरू है सोमवारी

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मुंगेरएक घंटा पहले

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पूजा-अर्चना करती महिलाएं। - Dainik Bhaskar

पूजा-अर्चना करती महिलाएं।

आषाढ़ मास की पूर्णिमा सह गुरु पूर्णिमा के अवसर पर मुंगेर में शहर के विभिन्न गंगा घाटों पर स्नान करने को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ आज सुबह से ही जुटी हुई है। सुबह से तेज बारिश होने के बावजूद भी गंगा घाटों पर स्नान करने को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी हुई है।

गंगा घाट पर सुरक्षा को लेकर पुलिस जवानों के साथ-साथ गोताखोर टीम की तैनाती की गई है। इस दौरान शहर के सभी गंगा घाटों पर गोताखोर की टीम मोटर बोट के साथ लाइव प्रूफ जैकेट में तैनात है।

बताया जाता है कि आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन महाभारत के रचयिता महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। जिसके कारण आज के दिन को गुरु पूर्णिमा व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। गुरु पूर्णिमा पर गंगा स्नान का भी काफी महत्व है।

गंगा घाट किनारे लोगों की भीड़।

गंगा घाट किनारे लोगों की भीड़।

गंगा घाट पर स्नान करने आए श्रद्धालुओं ने बताया कि धर्म का सबसे खास दिन आषाढ़ पूर्णिमा है। इसे गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। आज के दिन शिष्य अपने गुरुओं को सम्मान देते हैं। गुरु की पूजा करते हैं।

कहा जाता है कि आज के दिन ही महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। इस अवसर पर मुंगेर जिला अंतर्गत, कष्टहरणी गंगा घाट, बबुआ घाट, सोझीं घाट सहित अन्य गंगा घाटों पर भक्तों ने आस्था की डुबकी लगाई।

पूजा-अर्चना करती महिलाएंं।

पूजा-अर्चना करती महिलाएंं।

आज के दिन लोग गंगा घाटों पर स्नान कर अपने गुरु की पूजा अर्चना करते हैं। उसके बाद दिन दुखियों को दान भी देते हैं। जानकारी देते हुए गंगा घाट के महंत एकलव्य दास ने बताया कि हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन महाभारत के रचयिता महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था।

उन्होंने महाभारत लिखकर हिंदुत्व के इतिहास में अहम भूमिका निभाई थी। ऐसे में उनके भक्तों द्वारा उनको गुरु मानकर उनकी पूजा की जाती है, इसलिए गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस गंगा स्नान का बहुत ही बड़ा महत्व है। गंगा स्नान को लेकर घाटों पर सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए हैं।

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